9:30वहाँ से निकलकर वह गलील में से गुज़रे। ईसा नहीं चाहता था कि किसी को पता चले कि वह कहाँ है, 31क्योंकि वह अपने शागिर्दों को तालीम दे रहा था। उसने उनसे कहा, “इब्ने-आदम को आदमियों के हवाले कर दिया जाएगा। वह उसे क़त्ल करेंगे, लेकिन तीन दिन के बाद वह जी उठेगा।”
32लेकिन शागिर्द इसका मतलब न समझे और वह ईसा से इसके बारे में पूछने से डरते भी थे।
33चलते चलते वह कफ़र्नहूम पहुँचे। जब वह किसी घर में थे तो ईसा ने शागिर्दों से सवाल किया, “रास्ते में तुम किस बात पर बहस कर रहे थे?”
34लेकिन वह ख़ामोश रहे, क्योंकि वह रास्ते में इस पर बहस कर रहे थे कि हममें से बड़ा कौन है? 35ईसा बैठ गया और बारह शागिर्दों को बुलाकर कहा, “जो अव्वल होना चाहता है वह सबसे आख़िर में आए और सबका ख़ादिम हो।” 36फिर उसने एक छोटे बच्चे को लेकर उनके दरमियान खड़ा किया। उसे गले लगाकर उसने उनसे कहा, 37“जो मेरे नाम में इन बच्चों में से किसी को क़बूल करता है वह मुझे ही क़बूल करता है। और जो मुझे क़बूल करता है वह मुझे नहीं बल्कि उसे क़बूल करता है जिसने मुझे भेजा है।”
38यूहन्ना बोल उठा, “उस्ताद, हमने एक शख़्स को देखा जो आपका नाम लेकर बदरूहें निकाल रहा था। हमने उसे मना किया, क्योंकि वह हमारी पैरवी नहीं करता।”
39लेकिन ईसा ने कहा, “उसे मना न करना। जो भी मेरे नाम में मोजिज़ा करे वह अगले लमहे मेरे बारे में बुरी बातें नहीं कह सकेगा। 40क्योंकि जो हमारे ख़िलाफ़ नहीं वह हमारे हक़ में है। 41मैं तुमको सच बताता हूँ, जो भी तुम्हें इस वजह से पानी का गलास पिलाए कि तुम मसीह के पैरोकार हो उसे ज़रूर अज्र मिलेगा।
42और जो कोई मुझ पर ईमान रखनेवाले इन छोटों में से किसी को गुनाह करने पर उकसाए उसके लिए बेहतर है कि उसके गले में बड़ी चक्की का पाट बाँधकर उसे समुंदर में फेंक दिया जाए। 43-44अगर तेरा हाथ तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तू दो हाथों समेत जहन्नुम की कभी न बुझनेवाली आग में चला जाए [यानी वहाँ जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक हाथ से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो। 45-46अगर तेरा पाँव तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे काट डालना। इससे पहले कि तुझे दो पाँवों समेत जहन्नुम में फेंका जाए [जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती] बेहतर यह है कि तू एक पाँव से महरूम होकर अबदी ज़िंदगी में दाख़िल हो। 47-48और अगर तेरी आँख तुझे गुनाह करने पर उकसाए तो उसे निकाल देना। इससे पहले कि तुझे दो आँखों समेत जहन्नुम में फेंका जाए जहाँ लोगों को खानेवाले कीड़े कभी नहीं मरते और आग कभी नहीं बुझती बेहतर यह है कि तू एक आँख से महरूम होकर अल्लाह की बादशाही में दाख़िल हो।
49क्योंकि हर एक को आग से नमकीन किया जाएगा [और हर एक क़ुरबानी नमक से नमकीन की जाएगी]।
50नमक अच्छी चीज़ है। लेकिन अगर उसका ज़ायक़ा जाता रहे तो उसे क्योंकर दुबारा नमकीन किया जा सकता है? अपने दरमियान नमक की खूबियाँ बरक़रार रखो और सुलह-सलामती से एक दूसरे के साथ ज़िंदगी गुज़ारो।”
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