डिस्कवर

सबक़ 23

इंजील ए मुक़द्दस मरक़ुस 23

मरक़ुस 10:17-31
  1. सब से पहले हम शुरुआत करेंगे कि आज हम किस वजह से अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे।
  2. हमारे परिवार, हमारे समाज, या हमारे दोस्तों की ज़िन्दगी में क्या कोई परेशानी हैं जिसके लिये हम आज अल्लाह से दुआ कर सकते हैं?
  3. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस पढ़ा और सुना, उस हिस्से में से आज हमें कौन सी बात याद है जो सब से ख़ास थी?
  4. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस सुना, उस हिस्से की जिस आयत को हमने अमल करने के लिए तय किया था तो हमने किस तरह से अमल किया?
  5. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस सुना, क्या हमने अपने ख़ास तरीक़े के ज़रिए किसी दुसरे शख़्स से इसका ज़िक्र किया? अगर हमने दुसरे लोगों से इसका ज़िक्र किया तो कैसा रहा हमारा तजुर्बा?
  6. अब हम कलाम-ए-मुक़द्दस पढ़ेंगे, सुनेंगे, और समझेंगे।

10:17जब ईसा रवाना होने लगा तो एक आदमी दौड़कर उसके पास आया और उसके सामने घुटने टेककर पूछा, “नेक उस्ताद, मैं क्या करूँ ताकि अबदी ज़िंदगी मीरास में पाऊँ?”

18ईसा ने पूछा, “तू मुझे नेक क्यों कहता है? कोई नेक नहीं सिवाए एक के और वह है अल्लाह। 19तू शरीअत के अहकाम से तो वाक़िफ़ है। क़त्ल न करना, ज़िना न करना, चोरी न करना, झूटी गवाही न देना, धोका न देना, अपने बाप और अपनी माँ की इज़्ज़त करना।”

20आदमी ने जवाब दिया, “उस्ताद, मैंने जवानी से आज तक इन तमाम अहकाम की पैरवी की है।”

21ईसा ने ग़ौर से उस की तरफ़ देखा। उसके दिल में उसके लिए प्यार उभर आया। वह बोला, “एक काम रह गया है। जा, अपनी पूरी जायदाद फ़रोख़्त करके पैसे ग़रीबों में तक़सीम कर दे। फिर तेरे लिए आसमान पर ख़ज़ाना जमा हो जाएगा। इसके बाद आकर मेरे पीछे हो ले।” 22यह सुनकर आदमी का मुँह लटक गया और वह मायूस होकर चला गया, क्योंकि वह निहायत दौलतमंद था।

23ईसा ने अपने इर्दगिर्द देखकर शागिर्दों से कहा, “दौलतमंदों के लिए अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है!”

24शागिर्द उसके यह अलफ़ाज़ सुनकर हैरान हुए। लेकिन ईसा ने दुबारा कहा, “बच्चो! अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होना कितना मुश्किल है। 25अमीर के अल्लाह की बादशाही में दाख़िल होने की निसबत ज़्यादा आसान यह है कि ऊँट सूई के नाके में से गुज़र जाए।”

26इस पर शागिर्द मज़ीद हैरतज़दा हुए और एक दूसरे से कहने लगे, “फिर किस को नजात मिल सकती है?”

27ईसा ने ग़ौर से उनकी तरफ़ देखकर जवाब दिया, “यह इनसान के लिए तो नामुमकिन है, लेकिन अल्लाह के लिए नहीं। उसके लिए सब कुछ मुमकिन है।”

28फिर पतरस बोल उठा, “हम तो अपना सब कुछ छोड़कर आपके पीछे हो लिए हैं।”

29ईसा ने जवाब दिया, “मैं तुमको सच बताता हूँ, जिसने भी मेरी और अल्लाह की ख़ुशख़बरी की ख़ातिर अपने घर, भाइयों, बहनों, माँ, बाप, बच्चों या खेतों को छोड़ दिया है 30उसे इस ज़माने में ईज़ारसानी के साथ साथ सौ गुना ज़्यादा घर, भाई, बहनें, माएँ, बच्चे और खेत मिल जाएंगे। और आनेवाले ज़माने में उसे अबदी ज़िंदगी मिलेगी। 31लेकिन बहुत-से लोग जो अब अव्वल हैं उस वक़्त आख़िर होंगे और जो अब आख़िर हैं वह अव्वल होंगे।”


  1. इस हिस्से में जो कुछ हमने सुना है उसे अपने लफ़्ज़ों में दोहराइए।
  2. इस कलाम-ए-मुक़द्दस के हिस्से में कौन-कौन सी बात हमें अच्छी लगी?
  3. इस हिस्से का क्या क्या अहम सबक़ है?
  4. इस हिस्से में क्या कोई अच्छी मिसाल है, जिसे हमें अपनी ज़िन्दगी में अमल करना चाहिये, या कोई ख़राब मिसाल है जिसे हमें अमल नहीं करना चाहिये?
  5. आने वाले दिनों में हम अपनी ज़िन्दगी में किस तरह से एक ख़ास तरीक़े के ज़रिये इस पर अमल करेंगे?
  6. हमारे इस ख़ास तरीक़े के ज़रिये हम किससे इस हिस्से का ज़िक्र करेंगे?


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