डिस्कवर

सबक़ 25

इंजील ए मुक़द्दस मरक़ुस 25

मरक़ुस 10:46-11:11
  1. सब से पहले हम शुरुआत करेंगे कि आज हम किस वजह से अल्लाह का शुक्र अदा करेंगे।
  2. हमारे परिवार, हमारे समाज, या हमारे दोस्तों की ज़िन्दगी में क्या कोई परेशानी हैं जिसके लिये हम आज अल्लाह से दुआ कर सकते हैं?
  3. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस पढ़ा और सुना, उस हिस्से में से आज हमें कौन सी बात याद है जो सब से ख़ास थी?
  4. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस सुना, उस हिस्से की जिस आयत को हमने अमल करने के लिए तय किया था तो हमने किस तरह से अमल किया?
  5. पीछले बार जो हमने कलाम-ए-मुक़द्दस सुना, क्या हमने अपने ख़ास तरीक़े के ज़रिए किसी दुसरे शख़्स से इसका ज़िक्र किया? अगर हमने दुसरे लोगों से इसका ज़िक्र किया तो कैसा रहा हमारा तजुर्बा?
  6. अब हम कलाम-ए-मुक़द्दस पढ़ेंगे, सुनेंगे, और समझेंगे।

10:46वह यरीहू पहुँच गए। उसमें से गुज़रकर ईसा शागिर्दों और एक बड़े हुजूम के साथ बाहर निकलने लगा। वहाँ एक अंधा भीक माँगनेवाला रास्ते के किनारे बैठा था। उसका नाम बरतिमाई (तिमाई का बेटा) था। 47जब उसने सुना कि ईसा नासरी क़रीब ही है तो वह चिल्लाने लगा, “ईसा इब्ने-दाऊद, मुझ पर रहम करें!”

48बहुत-से लोगों ने उसे डाँटकर कहा, “ख़ामोश!” लेकिन वह मज़ीद ऊँची आवाज़ से पुकारता रहा, “इब्ने-दाऊद, मुझ पर रहम करें!”

49ईसा रुककर बोला, “उसे बुलाओ।”

50बरतिमाई ने अपनी चादर ज़मीन पर फेंक दी और उछलकर ईसा के पास आया।

51ईसा ने पूछा, “तू क्या चाहता है कि मैं तेरे लिए करूँ?”

52ईसा ने कहा, “जा, तेरे ईमान ने तुझे बचा लिया है।”


11:1वह यरूशलम के क़रीब बैत-फ़गे और बैत-अनियाह पहुँचने लगे। यह गाँव ज़ैतून के पहाड़ पर वाक़े थे। ईसा ने अपने शागिर्दों में से दो को भेजा 2और कहा, “सामनेवाले गाँव में जाओ। वहाँ तुम एक जवान गधा देखोगे। वह बँधा हुआ होगा और अब तक कोई भी उस पर सवार नहीं हुआ है। उसे खोलकर यहाँ ले आओ। 3अगर कोई पूछे कि यह क्या कर रहे हो तो उसे बता देना, ‘ख़ुदावंद को इसकी ज़रूरत है। वह जल्द ही इसे वापस भेज देंगे’।”

4दोनों शागिर्द वहाँ गए तो एक जवान गधा देखा जो बाहर गली में किसी दरवाज़े के साथ बँधा हुआ था। जब वह उस की रस्सी खोलने लगे 5तो वहाँ खड़े कुछ लोगों ने पूछा, “तुम यह क्या कर रहे हो? जवान गधे को क्यों खोल रहे हो?”

6उन्होंने जवाब में वह कुछ बता दिया जो ईसा ने उन्हें कहा था। इस पर लोगों ने उन्हें खोलने दिया। 7वह जवान गधे को ईसा के पास ले आए और अपने कपड़े उस पर रख दिए। फिर ईसा उस पर सवार हुआ। 8जब वह चल पड़ा तो बहुत-से लोगों ने उसके आगे आगे रास्ते में अपने कपड़े बिछा दिए। बाज़ ने हरी शाख़ें भी उसके आगे बिछा दीं जो उन्होंने खेतों के दरख़्तों से काट ली थीं। 9लोग ईसा के आगे और पीछे चल रहे थे और चिल्ला चिल्लाकर नारे लगा रहे थे,

10मुबारक है हमारे बाप दाऊद की बादशाही जो आ रही है।

11यों ईसा यरूशलम में दाख़िल हुआ। वह बैतुल-मुक़द्दस में गया और अपने इर्दगिर्द नज़र दौड़ाकर सब कुछ देखने के बाद चला गया। चूँकि शाम का पिछला वक़्त था इसलिए वह बारह शागिर्दों समेत शहर से निकलकर बैत-अनियाह वापस गया।


  1. इस हिस्से में जो कुछ हमने सुना है उसे अपने लफ़्ज़ों में दोहराइए।
  2. इस कलाम-ए-मुक़द्दस के हिस्से में कौन-कौन सी बात हमें अच्छी लगी?
  3. इस हिस्से का क्या क्या अहम सबक़ है?
  4. इस हिस्से में क्या कोई अच्छी मिसाल है, जिसे हमें अपनी ज़िन्दगी में अमल करना चाहिये, या कोई ख़राब मिसाल है जिसे हमें अमल नहीं करना चाहिये?
  5. आने वाले दिनों में हम अपनी ज़िन्दगी में किस तरह से एक ख़ास तरीक़े के ज़रिये इस पर अमल करेंगे?
  6. हमारे इस ख़ास तरीक़े के ज़रिये हम किससे इस हिस्से का ज़िक्र करेंगे?


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