4:35उस दिन जब शाम हुई तो ईसा ने अपने शागिर्दों से कहा, “आओ, हम झील के पार चलें।” 36चुनाँचे वह भीड़ को रुख़सत करके उसे लेकर चल पड़े। बाज़ और कश्तियाँ भी साथ गईं। 37अचानक सख़्त आँधी आई। लहरें कश्ती से टकराकर उसे पानी से भरने लगीं, 38लेकिन ईसा अभी तक कश्ती के पिछले हिस्से में अपना सर गद्दी पर रखे सो रहा था। शागिर्दों ने उसे जगाकर कहा, “उस्ताद, क्या आपको परवा नहीं कि हम तबाह हो रहे हैं?”
39वह जाग उठा, आँधी को डाँटा और झील से कहा, “ख़ामोश! चुप कर!” इस पर आँधी थम गई और लहरें बिलकुल साकित हो गईं। 40फिर ईसा ने शागिर्दों से पूछा, “तुम क्यों घबराते हो? क्या तुम अभी तक ईमान नहीं रखते?”
41उन पर सख़्त ख़ौफ़ तारी हो गया और वह एक दूसरे से कहने लगे, “आख़िर यह कौन है? हवा और झील भी उसका हुक्म मानती हैं।”
5:1फिर वह झील के पार गरासा के इलाक़े में पहुँचे। 2जब ईसा कश्ती से उतरा तो एक आदमी जो नापाक रूह की गिरिफ़्त में था क़ब्रों में से निकलकर ईसा को मिला। 3यह आदमी क़ब्रों में रहता और इस नौबत तक पहुँच गया था कि कोई भी उसे बाँध न सकता था, चाहे उसे ज़ंजीरों से भी बाँधा जाता। 4उसे बहुत दफ़ा बेड़ियों और ज़ंजीरों से बाँधा गया था, लेकिन जब भी ऐसा हुआ तो उसने ज़ंजीरों को तोड़कर बेड़ियों को टुकड़े टुकड़े कर दिया था। कोई भी उसे कंट्रोल नहीं कर सकता था। 5दिन-रात वह चीख़ें मार मारकर क़ब्रों और पहाड़ी इलाक़े में घुमता-फिरता और अपने आपको पत्थरों से ज़ख़मी कर लेता था।
6ईसा को दूर से देखकर वह दौड़ा और उसके सामने मुँह के बल गिरा। 7वह ज़ोर से चीख़ा, “ऐ ईसा अल्लाह तआला के फ़रज़ंद, मेरा आपके साथ क्या वास्ता है? अल्लाह के नाम में आपको क़सम देता हूँ कि मुझे अज़ाब में न डालें।” 8क्योंकि ईसा ने उसे कहा था, “ऐ नापाक रूह, आदमी में से निकल जा!”
9फिर ईसा ने पूछा, “तेरा नाम क्या है?”
10और वह बार बार मिन्नत करता रहा कि ईसा उन्हें इस इलाक़े से न निकाले।
11उस वक़्त क़रीब की पहाड़ी पर सुअरों का बड़ा ग़ोल चर रहा था। 12बदरूहों ने ईसा से इलतमास की, “हमें सुअरों में भेज दें, हमें उनमें दाख़िल होने दें।” 13उसने उन्हें इजाज़त दी तो बदरूहें उस आदमी में से निकलकर सुअरों में जा घुसीं। इस पर पूरे ग़ोल के तक़रीबन 2,000 सुअर भाग भागकर पहाड़ी की ढलान पर से उतरे और झील में झपटकर डूब मरे।
14यह देखकर सुअरों के गल्लाबान भाग गए। उन्होंने शहर और देहात में इस बात का चर्चा किया तो लोग यह मालूम करने के लिए कि क्या हुआ है अपनी जगहों से निकलकर ईसा के पास आए। 15उसके पास पहुँचे तो वह आदमी मिला जिसमें पहले बदरूहों का लशकर था। अब वह कपड़े पहने वहाँ बैठा था और उस की ज़हनी हालत ठीक थी। यह देखकर वह डर गए। 16जिन्होंने सब कुछ देखा था उन्होंने लोगों को बताया कि बदरूह-गिरिफ़्ता आदमी और सुअरों के साथ क्या हुआ है।
17फिर लोग ईसा की मिन्नत करने लगे कि वह उनके इलाक़े से चला जाए।
18ईसा कश्ती पर सवार होने लगा तो बदरूहों से आज़ाद किए गए आदमी ने उससे इलतमास की, “मुझे भी अपने साथ जाने दें।”
19लेकिन ईसा ने उसे साथ जाने न दिया बल्कि कहा, “अपने घर वापस चला जा और अपने अज़ीज़ों को सब कुछ बता जो रब ने तेरे लिए किया है, कि उसने तुझ पर कितना रहम किया है।”
20चुनाँचे आदमी चला गया और दिकपुलिस के इलाक़े में लोगों को बताने लगा कि ईसा ने मेरे लिए क्या कुछ किया है। और सब हैरतज़दा हुए।
Get Discovery Bible Studies on your phone
Discover copyright ©2015-2023 discoverapp.org
Urdu verses taken from the Urdu Geo Version (UGV) ©2010 Geolink Resource Consultants, LLC 10307 W. Broadstreet, #169, Glen Allen, Virginia 23060, USA. Used with permission. All rights reserved.